बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
अथवा
भारतीय नौसेना पर एक निबन्ध लिखिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. आधुनिक युद्ध कला में भारतीय नौसेना की भूमिका की विवेचना कीजिए।
2. भारतीय नौसेना की शाखाओं पर प्रकाश डालिए।
3. सामुद्रिक शक्ति का महत्व स्पष्ट कीजिए।
4. सामुद्रिक शक्ति के तत्व क्या हैं?
उत्तर -
(Indian Navy)
भारत की समुद्रीय सीमा की लंबाई लगभग 6100 किलोमीटर लम्बी है, जो हिन्द महासागर में बंगाल की खाड़ी से अरब सागर के बीच है। आज विश्व के महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग हिन्द महासागार से होकर गुजरते हैं। अतः भारत का अस्तित्व बहुत कुछ सामुद्रिक सुरक्षा पर निर्भर करता है। इसलिए भारतीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए भारत को नौसेना का विकास करना अति आवश्यक है।
सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध मे भारत हिन्द महासागर की एक महत्वपूर्ण नौ शक्ति के रूप मे उभर आया जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय सुरक्षा के लिए भारतीय नौ सेना का विकास एवं प्रसार बहुत महत्वपूर्ण है।
नौसेना सामुद्रिक क्षेत्र में रहकर किसी भी देश की समुद्री सीमा की निगरानी तथा सुरक्षा करती है। नौ सेना समुद्र के ऊपर तथा भीतर दोनों ही रूप में अपनी सीमा की सुरक्षा करती है। यह शत्रु के उड़ते हुए विमानों को गिराने तथा शत्रु के तटीय क्षेत्र पर गोलाबारी करने का कार्य करती है। नौसेना एक अति तकनीकी सेना है। इसको कार्यान्वित करने के लिए विभिन्न विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाती है। इन विशेषज्ञों को नौसेना की निम्नलिखित शाखाओं में संगठित किया जाता है -
1. कार्यकारी विभाग (Executive Branch) : नौसेना के इस विभाग के अंतर्गत जहाजरानी (Navigation) करने वाले तोपची (Gunners) तारपीडो तथा पनडुब्बी चालक, पनडुब्बी मेंढक तथा छानबीन करने वाले और नौ- सैनिक हवाबाज सैनिक तथा अफसर आते हैं। इसी विभाग के अफसर समुद्र में गतिशील जलयानों को कमाण्ड करते हैं।
2. अभियन्ता विभाग (Engineering Branch) : नौसेना के कुशल यांत्रिक अभियन्ता इस विभाग के अंतर्गत आते हैं। इनका कार्य नौ सैनिक यानों के यंत्रों, तोपों तथा वायुयानों को चालू तथा व्यवस्थित रखना है।
3. विद्युत विभाग (Electrical Branch) : नौ सेना के जलयानों तथा वायुयानों की मशीनरी की मरम्मत तथा उन्हें चालू रखना इस विभाग का उत्तरदायित्व है। यह रेडियो, तारपीडों, रडार तथा तोपों आदि के नियंत्रण की देखभाल करता है।
4. पूर्ति तथा सचिवालय विभाग (Supply and Secretariat Branch) : इस विभाग का कार्य नौसेना के सैनिकों तथा अफसरों के वेतन का वितरण, भोजन तथा साज-सज्जा का प्रबन्ध एवं कानूनी सलाह प्रदान करता है।
5. प्रशिक्षण विभाग ( Instruction Branch) : इस विभाग के द्वारा नौ सैनिकों को सामान्य शिक्षण के साथ-साथ वैज्ञानिक, गणितीय तथा तकनीकी शिक्षा प्रदान की जाती है। ऋतु सम्बन्धी ज्ञान भी विशेष रूप से, इसी विभाग के द्वारा किया जाता है।
6. चिकित्सा विभाग (Medical Branch) : नौसेना के जवानों तथा अफसरों के स्वास्थ्य की देखभाल का उत्तरदायित्व इस विभाग पर है।
7. सामुद्रिक सर्वेक्षण विभाग (Hydrographic Survey Branch) इस विभाग के द्वारा समुद्री तटों तथा अनतः जल क्षेत्रों का सर्वेक्षण और मानचित्र निर्माण का कार्य निरन्तर किया जाता है।
(a) भारतीय समुद्रिक नीति तथा तत्व : किसी भी राष्ट्र की सामुद्रिक शक्ति प्रायः निम्नलिखित तत्वों पर आधारित रहती है। अतः एक सुदृढ़ नौसेना बनाने के लिए निम्नलिखित तत्वों का प्रचलित विकास होना आवश्यक है -
1. एक सुविकसित व्यापारिक समुद्री बेड़ा,
2. शक्तिशाली लड़ाकू समुद्री बेड़ा,
3. सुप्रशिक्षित नाविकों की पर्याप्त संख्या,
4. समुद्री अड्डों का विकास तथा प्रसार,
5. विकसित जलयान निर्माण उद्योग,
6. अद्वितीय नभ सेना,
7. समुचित संख्या में लड़ाकू नौसेना
8. अधिकाधिक संख्या में पनडुब्बियाँ,
9. विमान वाहक तथा राकेट यानों की अधिकाधिक संख्या
10. विकसित नाविक योधन संभार तथा संकेत साधन,
11. विध्वंसक यानों की अधिकाधिक संख्या
12. सीमान्त प्रदेशों की पूर्णरूप से देखभाल तथा सुरक्षा,
13. हिन्द महासागर पर पूर्ण रूप से प्रभुत्व।
स्वतंत्रता के बाद से भारतीय नौसेना का पर्याप्त विकास किया गया है और 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय नौसेना ने अपनी क्षमता तथा उपयोगिता सिद्ध कर दी है, परन्तु यह सत्य है कि भारतीय नौसेना अभी विश्व की अनेकों नौसेना के सामने कम विकसित तथा अपूर्ण है। अतः भारत नौसेना शक्ति का समुचित विकास करने के लिए प्रयासरत है। भारत सरकार के नौसेना के विकास संबंधी कार्यों को देखकर यह आशा की जाती है कि निकट भविष्य में भारतीय नौसेना विश्व की शक्तिशाली समुद्री सेनाओं में गिनी जायेगी।
(b) नौसेना के कार्य (Role of Navy): नौसेना के निम्नलिखित कार्य हैं-
1. समुद्री क्षेत्र पर अधिकार रखना,
2. अपनी समुद्री सीमा की निगरानी तथा सुरक्षा करना,
3. शत्रु को अपने समुद्री क्षेत्र में घुसने से रोकना,
4. थल सेना व वायु सेना की सम्भरण सामग्री व साज- सामान आदि। सामुद्रिक मार्ग से सुरक्षित उस स्थान तक पहुंचाना जहाँ शत्रु के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही करनी है,
5. अपनी स्थल सेना के पार्श्व की सुरक्षा करना तथा उनको गतिशील तोपखानों को सहायता प्रदान करना,
6. तटीय सीमा से लगे गांवों के लोगों को प्राकृतिक आपदा के समय सहायता प्रदान करना,
7. अपने देश के मछुआरों तथा समुद्री पर्यटकों को बाढ़ या तूफान या डूबते समय सुरक्षा प्रदान करना,
8. शत्रु की तटीय सीमा पर शत्रु की गतिविधियों पर नजर रखना,
9. युद्ध के समय शत्रु सेना के बन्दरगाहों तथा जलयानों और वायुयानों को नष्ट करना,
10. समुद्र के अन्दर की गतिविधियों पर नजर रखना,
11. युद्ध के समय पनडुब्बियों तथा तारपीड़ों की सहायता से समुद्र के अन्दर ही अन्दर शत्रु नौ सेना को नष्ट करना।
मुख्य रूप से नौसेना का कार्य अपने देश की समुद्रीय सीमा की सुरक्षा करना है, परन्तु इसके अतिरिक्त युद्धकाल तथा शान्तिकाल में भी नौसेना भिन्न-भिन्न कार्य करती है। समुद्री व्यापार में भी समुद्री सेना बहुत मदद करती है। वास्तव में भारतीय नौसेना भारतीय सेना का दूसरा महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि इसके कार्य तथा उत्तरदायित्व विशाल समुद्री सीमा होने के कारण बहुत अधिक हैं।
(c) भारतीय नौसेना के जलयान - इस समय भारतीय नौसेना में अनेक श्रेणी के जलयान हैं, जिनकी संक्षिप्त व्याख्या निम्नलिखित हैं-
1. विमान वाही पोत (Air Craft Carrier) : INS Vikrant नामक विमान वाहक पोत भारतीय नौसेना में अकेला विमान वाही पोत है। इसे 1961 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। यह भारतीय नौसेना का ध्वजपोत (Flagship) है। इसका वजन 20,000 टन है तथा लंबाई 700 फीट है। इस पर लगभग 1400 नौसैनिक तथा नौ- वैज्ञानिक रहते हैं।
2. लड़ाकू पोत (Guiser) : लम्बी दूरी पर छानबीन तथा मार करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। भारतीय नौ सेना में INS Delhi तथा I.N.S. Mysore नामक दो क्रूजर यान हैं।
3. विध्वंसक पोत (Destroyer) : तोपों तथा तारपीडों से सुसज्जित तीव्रगामी हल्के विध्वंसक जलपोत सागर के शिकारी तथा तत्पर सेवक कहलाते हैं। नौसेना के स्काउट के समान यह छानबीन तथा बड़े यानों के लिए पर्दे का काम करते हैं। इस समय भारत में राजपूत, राना, गंगा, गोदावरी तथा गोमती नामक विध्वंसक पोत हैं।
4. रक्षक पोत (Frigate) : ये पोत जलयानों को शत्रु से तथा शत्रु की पनडुब्बियों एवं विमानों की मार से सुरक्षा प्रदान करने के अतिरिक्त स्वतंत्र रूप से शत्रु तटों पर बमबारी करते हैं। जमुना, सतलज, तीर, त्रिशूल आदि इसी श्रेणी के अनेकों पोत भारतीय नौसेना में हैं।
5. विस्फोटक - नाली सफाई पोत (Mine Sweeping Ships) : शत्रु द्वारा अपने तटों में लगाई गई विस्फोटक नालों की सफाई के लिए भारतीय नौसेना में तीन स्क्वेड्रन यान संगठित किये गये हैं। इनमें कोंकण, मद्रास, बंगाल, राजपूताना आदि यान सम्मिलित हैं।
6. सर्वेक्षण पोत (Survey Ship) : सागर तथा तटों के सर्वेक्षण कार्य के लिए भारतीय नौ- सेना में 'सतलज, जमुना हाथी, ध्रुवक आदि यान भी हैं।
7. गश्ती नौकायें (Patrol Boats) : भारतीय बन्दरगाहों की चौकसी तथा सुरक्षा के लिए . भारत में 'अजय, अभय नामक गश्ती, नौकाओं का निर्माण भी किया गया है।
(d) नौसेना का सामरिक संगठन : नौसेना का प्रत्येक जलयान एक इकाई माना जाता है। प्रत्येक जलयान पर कमाण्डर के रूप में एक कैप्टन तैनात किया जाता है। कई जलयानों को मिलाकर एक स्क्वेड्रन बनता है और कई स्क्वेड्रन मिलाकर एक फ्लोटिला का निर्माण होता है। आत्मनिर्भर फ्लोटिला की शक्ति को बढ़ाकर उसे फ्लीट का रूप दिया जाता है। एक फ्लीट आत्मनिर्भर होकर समुद्र में शत्रु से युद्ध कर विजय प्राप्त कर सकता है क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार के जलयान होते हैं। भारतीय नौसेना में पश्चिमी तथा पूर्वी दो फ्लीट संगठित हैं।
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- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
- प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
- प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
- प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
- प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
- प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
- प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
- प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
- प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
- प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
- प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
- प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
- प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
- प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
- प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
- प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
- प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
- प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
- प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
- प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
- प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
- प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
- प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
- प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
- प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
- प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
- प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
- प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
- प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
- उत्तरमाला
- 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
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